ये दर्द उसने दिया है उसी से क्या कहते...
कहानी दर्द की हम ज़िन्दगी से क्या कहते
ये दर्द उसने ही दिए हैं उसी से क्या कहते
गिला तो मुझे भी करना था प्यास का लेकिन
जो खुद हो सूख गयी उस नदी से क्या कहते
मेरे अज़ीज़ ही मुझे समझ ना पाए कभी
हम अपना हाल किसी अजनबी से क्या कहते
अँधेरी रात में मुझे बहुत सताया है
भला ये बात अब रोशनी से क्या कहते
तमाम शहर में था राज झूट का ऐ दोस्त
हम अपने गम की हकीकत किसी से क्या कहते